कलावां रो कोलाज ‘अैसो चतुर सुजान’ / नीरज दइया

    रंग समीक्षक नेमीचंद जैन कैया करता कै कोई नाटक रंगमंच री कसौटी पर खरो उतरियां पछै ई पोथी रूप आवणो चाइजै। युवा नाटककार हरीश बी. शर्मा खुद निर्देशक-कलाकार रूप रंगमंच सूं जुड़ाव राखै अर `अैसो चतुर सुजान’ रंग-नाटक रूप एक सफल नाटक इण खातर मानीज सकै कै पोथी रूप आवाण सूं पैली इण रो सफल मंचन हुयो। इण सूं ई इधकी बात कै इण नाटक नै लिखण अर रिहर्सल रै बगत ई नाटककार हरीश कलाकारां अर निर्देशक भेळै इण नाटक री तकनीक अर प्रस्तुतीकरण नै लेय’र लगोलग आपसरी में बंतळ करता रैया। इण मंचीय़ नाटक बाबत चावा-ठावा रंगकर्मी-साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ रो कैवणो है जिण पाखती नवा विचार हुवै अर मिनखाजूण नै बांचण री आंख हुवै, वो ई कीं खास रचण री ऊरमा राखै। चावा-ठावा नाटककार लक्ष्मीनारायण रंगा मुजब रंग-नाटक आपरै समै अर समाज री वीडियोग्राफी हुवै, जिण नै सगळी कलावां रो कोलाज कैयो जाय सकै।   
    हरीश बी. शर्मा रो ‘अैसो चतुर सुजान’ नाटक मिनख अर उण री ओळख नै समझण-समझावण रो नागो साच है। एक आम आदमी रो महामंत्री बण जावण रै कारण सत्ता मांयली खींचा-ताण अर राज रा पाळा बिचाळै घमसाण रो ओ नाटक मिनख नै खुद री ओळख नै सदा चेतै राखण रो पाठ समझावै। हरीश बी. शर्मा रो मानणो है कै हरेक मिनख कलाकार है अर आ दुनिया रंगमंच। नाटक में नाटककार हरीश री कलाकारी कै बै आधुनिक जुग-संदर्भा नै इतिहास रै ओळावै बखाणै। लोक-साहित्य अर आधुनिक साहित्य रो एक संगम है `अैसो चतुर सुजान’। सुणी सुणाई कथा अर गोड़ै घड़ी कथा सूं नाटक री कथा रो विकास करीज्यो है जिण नै जथारथ अर कल्पना रो मेळ कैयो जाय सकै। जिकी कथा कीं ओळख मांय आवै उण में दोधाचींती अर गीत-संगीत रै मारफत `अैसो चतुर सुजान’ मंच माथै खेलीजै तद देखणियां नै घणो दाय आवै।
    किणी रंग-नाटक मांय गीत-संगीत रै पख नै सांभणिया कलाकार उजास अर अंधारै में जिको प्रभाव देखणिया माथै कर सकै बो प्रभाव फगत लिखित पाठ नै बांच्यां संभव कोनी। पोथी रो मानयो लिखित पाठ माथै रैया करै। इण मांय मंचन रै दीठावां रा सैनाण फोटुवां रै मारफत पोथी मांय जग-जाहिर करण रो जस बोधि प्रकाशन नै। एक सफल मंचन री कहाणी पोथी सूं जाण सकां। लगैटगै पचास पेज रै इण नाटक `अैसो चतुर सुजान’ में 13 दरसाव है। राजा वीरमदेव, राणी विजया, सुजान, सेनापति खास भूमिका में साम्हीं आवै। नाटक राजा अर राणी री कहाणी कैवै तो साथै ई सुजान री समझदारी ई बखाणै। ओ नाटक राजनीति रा केई केई रंग दरसावै साथै ई राज री उथल-पुथल अर चालती खींच-ताण रो नाटक ई चौड़ै करै।
    भासा अर भासा रै मानकीकरण रै लेखै नाटक मांय घणी सावचेती देखी जाय सकै। सरल-सहज अर मौकै मुजब संवादां री भासा सूं नाटक आपरै पाठ मांय असरदार लखावै। साहित्य री बीजी विधावां री भासा अर नाटक री भासा मांय खासो आंतरो हुया करै। नाटक मांय संवाद पात्रां री ओळख रो अंदाजो देवै तो साथै ई सुजान री ईमानदारी अर समझदारी ई बखाणै। कोई नाटक जद मंचित हुवै तद उण री भासा नै कलाकार जीवण देवै साथै ई साथै मंचीय प्रभाव ई उण रै प्रभाव मांय इजाफो करै। पण आ कलाकारी तद ई संभव हुवै जद मूळ नाटककार री भासा मांय बा गुंजाइस हुवै। भासा अर बुणगट री दीठ सूं ओ एक सफल नाटक मानीजैला| रसानुभूति री दीठ सूं ओ नाटक आपरै पाठ अर मंचन दोनूं सीगा सांतरो कैयो जाय सकै।
० नीरज दइया

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अैसो चतुर सुजान (नाटक) हरीश बी. शर्मा
प्रकासक- बोधि प्रकाशन, जयपुर; संस्करण- 2012: पाना- 80 पानां; कीमत- 70/-
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