आसावादी सुर, नाटकीय बंतळ अर बेजोड़ पात्र / नीरज दइया

‘आंख्यां मांय सुपनो’ संग्रै री कहाणियां मांय केई-केई यादगार पात्र मिलै। दूजै सबदां मांय आ पण कैय सकां कै मधु आचार्य ‘आशावादी’ रै लेखन रो मूळ आधार ई यादगार पात्र है। वै वा यादगार पात्रां री ओळख नै थरपण पेटै ई स्यात सिरजण करै। आपरी हरेक कहाणी अर उपन्यास मांय केई केई यादगार चरित्र आपां रै अंतस मांय घर कर लेवै। मधु आचार्य ‘आशावादी’ री आ कला अर सावचेती मानीजैला कै वै घणै सहज अर सीधै रूप जटिल अर बेजोड़ चरित्रां री सिरजणा करण रो हुनर जाणै। आसावादी सुर, नाटकीय बंतळ अर बेजोड़ पात्र आपरी लेखन री तीन मोटी खासियता मानी जाय सकै।
      दाखलै रूप बात करां तो संग्रै री पैली कहाणी ‘सीर री जूण’ रा मोहन भा आखी जूण बिना किणी रुजगार करियां आखी जूण काढ देवै, सेवट बां रै अंतस माथै अेक टाबर रा बोल जाणै कोई कांकरो बण’र आखी अमूझ नै बारै काढै तो वै दुनिया नै ई छोड़’र जावै परा। दूजी कहाणी ’लाल गोटी’ रा गफूर चाचा आपरै दुख नै आपरै आसै-पसै री दुनिया मांय टाबरा भेळै रम्मता-रम्मता जाणै भुळा’र राखण री अटकळ सीखावै। तो कहाणी ‘आंख्यां मांय सुपनो’ री पार्वती काकी आपरै बेटै री उडीक मांय जीवता-जीव जाणै पाखाण-पूतळी हुय’र खुद अेक कहाणी बण जावै।
      कहाणीकार किणी पात्र का घटना मांय घणखरी बार उमाव रो जिको भाव अेक पेटै दूजै रो दरसावै अर कहाणी नै कहाणी सुणवण-सुणावण री परंपरा सूं जोड़ै। इण बुणगट नै आं कहाणियां री खासियत मान सकां, तो इण नै आपां सींव रूप ई देख सकां। जूनी अर नवी कहाणी मांय मोटो आंतरो परखां तो आज री कहाणी जूण री अबखायां नै अरथावण माथै खास ध्यान देवै। चावा-ठावा कहाणीकार अर संपादक भंवरलाल ‘भ्रमर’ इण संग्रै रो फ्लैप लिखतां लिखै- “आं कहाणियां मांय कहाणीकार रो किणी ढाळै री सीख देवण रो भाव कोनी, बो तो बस आं चरित्रां रै मारफत जीवण रा राग-रंग अर जूझ मांडै जिण सूं कै बांचणियां रै हियै उजास पसरतो जावै।”
      हियै उजास री बात करां तो आं कहाणियां मांय सांप्रदायिक सदभाव, अेकता-अखंडता अर भाईचारो ई उल्लेखजोग मान्यो जावैला। कहाणी ‘धरम री धजा’ मांय मिंदर-मस्जिद नै अेक करण रो सांवठो संदेस देख सकां। अचरज हुवैला कै इण जुग मांय शब्बीर अर जगदीश जिसा मिनख ई हुया। जिण विगत सूं किणी घटना अर चरित्र नै मधु आचार्य ‘आशावादी’ होळै-होळै बखाणै बो कहाणी बांचता-बांचता बांचणियां रै हियै ढूकै। अंतस मांय आपरो रंग-रूप उजागर करिणियां आं बेजोड़ पात्रां माथै पूरो पक्को पतियारो करण रो भाव जागै तो कहाणी ‘सरपंची रो साच’ जिसी रचना सूं दुनिया मांय छळ-छंद करणिया पेटै भूंड रो भाव ई हियै जागै। नवी दुनिया अर इंटरनेट रै चोळका नै कहाणी ‘हेत री सूळ’ बखाणै तो कहणी ‘सेवा रा मेवा’ मांय आधुनिक हुयै समाज रो विरोधाभास अर द्वंद्व उजागर करीज्यो है। कहाणी ‘गोमती री गांगा’ घर-परिवार अर अेक पागल छोरी रै मनोविज्ञान नै सांवठै ढंग सूं साम्हीं राखै।
      मधु आचार्य ‘आशावादी’ नै बांचता चावा-ठावा उपन्यासकार-कहाणीकार यादवेंद्र शर्मा ‘चन्द्र’ चेतै आवै, जिका रै सिरजण मांय केई-केई बेजोड़ पात्र मिलै अर चावा-ठावा कहाणीकार सांवर दइया याद आवै जिका केई संवाद-कहाणियां लिखी। कांई अठै ओ कैवणो वाजिब हुवैला कै आं दोनूं लेखकां री सिरजण-जातरा रो विगसाव मधु आचार्य ‘आशावादी’ रै लेखन मांय देख सकां। आसावादी सुरनाटकीय बंतळ अर बेजोड़ पात्र सूं ओ एक यादगार उपन्यास है। 
-नीरज दइया
  
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आंख्यां मांय सुपनो (कहाणी संग्रै) मधु आचार्य ‘आशावादी’
प्रकाशक- ऋचा (इंडिया) पब्लिशर्स, बीकानेर ; संस्करण- 2015; पृष्ठ- 88 ; मूल्य- 150/-
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